5 Easy Facts About Shodashi Described

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

Lots of excellent beings have worshipped components of Shodashi. The nice sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali in the course of his entire daily life, and at its end result, he paid out homage to Shodashi as a result of his individual spouse, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in seeing the divine in all beings, and especially his existence companion.

Her representation will not be static but evolves with artistic and cultural influences, reflecting the dynamic character of divine expression.

The Devas then prayed to her to ruin Bhandasura and restore Dharma. She's thought to have fought the mother of all battles with Bhandasura – some scholars are with the check out that Bhandasura took many types and Devi appeared in various kinds to annihilate him. Finally, she killed Bhandasura Using the Kameshwarastra.

सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥

नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।

Devotees of Shodashi engage in various spiritual disciplines that goal to harmonize the mind and senses, aligning website them Using the divine consciousness. The next factors define the progression towards Moksha as a result of devotion to Shodashi:

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

The person who does this Sadhana gets to be like Cupid (Shodashi Mahavidya). He is converted right into a rich, popular between women and blessed with son. He gets the quality of hypnotism and achieves the self electric power.

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